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लोकसभा चुनाव 2024: धौरहरा सीट कांग्रेस के लिए छोड़ सकती है सपा, अखिलेश के इस फैसले से तेज हुई चर्चा
आशीष गुप्ता, लखीमपुर खीरी ब्यूरो
Published by: मुकेश कुमार
Updated Tue, 30 Jan 2024 04:00 PM IST
सार
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 11 सीट देने की घोषणा की है। इससे खीरी में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सपा सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव का पूरा जोर खीरी पर है, सपा धौरहरा सीट कांग्रेस के लिए छोड़ सकती है।
लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में सीटों के बंटवारे पर ट्वीट क्या किया, लखीमपुर खीरी जिले में भी सियासी भूचाल आ गया। राजनीतिक दलों समेत हर ओर बस यही चर्चा रही कि लोकसभा की दो सीटों खीरी और धौरहरा पर आखिर दावेदारी किसकी होगी। उधर, समाजवादी पार्टी सूत्रों के मुताबिक सपा मुखिया का पूरा जोर खीरी पर है, सपा धौरहरा सीट कांग्रेस के लिए छोड़ सकती है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 11 सीट देने की घोषणा की है। इससे खीरी में सियासी सरगर्मियां तेज हो गईं। बड़ा कारण यह भी कि खीरी में चार दिन पहले ही सपा ने एक कार्यक्रम कर लोकसभा चुनाव के लिए हुंकार भरी थी। खीरी संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव के लिए उत्कर्ष वर्मा को प्रभारी बनाया था, जबकि धौरहरा सीट पर आनंद भदौरिया को प्रभारी नियुक्त किया।
सपा कार्यकर्ताओं से चुनावों में जुट जाने का आह्वान किया गया, लेकिन सीट बंटवारे पर आए अखिलेश यादव के कांग्रेस को महज 11 सीटें देने के बयान ने जिले की सियासत को अलग रुख दे दिया है। हालांकि, दोनों दलों के जिम्मेदार आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से बचते रहे, लेकिन अखिलेश तक पहुंच रखने वाले पार्टी सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी धौरहरा सीट कभी नहीं जीती है, इसलिए 90 फीसदी संभावना है कि यह सीट कांग्रेस के लिए खाली कर दी जाए।
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2009 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई धौरहरा सीट
2008 में परिसीमन से पहले जिले में लोकसभा की एक ही सीट थी, लेकिन परिसीमन के बाद पहली बार धौरहरा लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। इसमें आधा लखीमपुर का तो आधा सीतापुर जिले का हिस्सा है। खीरी से इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कस्ता, मोहम्मदी और धौरहरा विधानसभा क्षेत्र हैं, तो सीतापुर जिले से महोली और हरगांव विधानसभा क्षेत्र। जबकि खीरी संसदीय क्षेत्र में जिले के ही पांच विधानसभा क्षेत्र सदर, गोला, श्रीनगर, निघासन और पलिया शामिल हैं। 2009 से लेकर अब तक इस सीट पर सपा नहीं जीती है।
विपक्षी खेमे से निपटने के लिए भाजपा में भी समीकरणों की चर्चा
सपा के सीट बंटवारे के एलान के बाद से ही भाजपा में भी हलचल बढ़ गई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा ने अपना आंतरिक सर्वे और एक तीसरी पार्टी से सर्वे कराया है। शरद वाजपेयी की शहर में होर्डिंग लगी हैं। भाजपा जिले में ब्राह्मण और कुर्मी वोट के अपने समीकरण को बरकरार करने में जुटी है। हालांकि, पदाधिकारी अभी कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं।
कांग्रेस बोली- हमारा दावा 25 सीटों पर है
अखिलेश के सीट बंटवारे के बयान पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य डॉ. रविशंकर त्रिवेदी का कहना है कि अभी सौहार्दपूर्ण और अच्छे माहौल में बातचीत चल रही है। हमें उम्मीद से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। उधर, कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल का कहना है कि अंतिम निर्णय बाकी है। हमारा दावा दोनों सीटों पर है, आलाकमान का निर्णय अंतिम होगा।
हमारे पास दोनों सीटें- सपा
सपा जिलाध्यक्ष रामपाल यादव का कहना है कि जो 11 सीटें कांग्रेस को देने की बात कही जा रही है। उसमें खीरी पर सपा का लड़ना तय है। धौरहरा पर भी हमने प्रभारी घोषित किया है, लेकिन अंतिम निर्णय आने में समय है।
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खीरी सीट पर अखिलेश का रहा जोर
18 जनवरी को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिला इकाई की लखनऊ में बैठक कर साफ संदेश दिया था कि लखीमपुर की दोनों सीटों पर चुनाव लड़ना प्राथमिकता है, लेकिन खीरी लोकसभा सीट पर वह कोई समझौता नहीं करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी कार्यकर्ताओं व बड़े नेताओं से भी अखिलेश यादव अक्सर पूछते रहे हैं कि भाजपा के सांसद को खीरी में कौन हरा सकता है।
इसीलिए उत्कर्ष वर्मा को भी आगे किया गया, जबकि इसी बात से नाराज होकर पार्टी में महासचिव रहे रवि वर्मा ने सपा का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया। समाजवादी सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव के लिए खीरी संसदीय सीट अब नाक का सवाल बन गई है, जिसे वह किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे।
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