ब्लैकबोर्ड- गांव जहां दामाद बनते घर जमाई:सुनते ससुरालवालों के ताने; न ही जमीन पर मिलता हक

7 महीने पहलेलेखक: शाश्वत
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'मैं मध्य प्रदेश के भाल बामोरा गांव का रहने वाला हूं। गांव में मेरी 24 बीघा जमीन ठाकुरों ने कब्जा ली। उल्टा मेरे साथ मारपीट की और मुझे ही महीना भर जेल में रहना पड़ा। इसके बाद मैंने अपना गांव छोड़ दिया, पत्नी के मायके आकर रहने लगा। सास-ससुर भी कहने लगे, यहां आकर रह लो, आसपास के लोगों के दामाद भी तो ससुराल रहते हैं। उनके कहने पर चला आया। यही मेरे बच्चों का जन्म हुआ।'

45 साल के मुन्नालाल अपनी कहानी सुना रहे हैं। वो आदिवासी समाज से हैं और मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के नूरगंज गांव में रहते हैं। यह उनकी पत्नी का मायका है, जो भोपाल से करीब 40 किमी दूर बसा है।

इस गांव में बसने वाले मुन्ना अकेले दामाद नहीं। यहां के 40%


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