27 वर्ष का हुआ लखीसराय जिला, बदली तस्वीर
लखीसराय। तीन जुलाई 1994 को पुराने मुंगेर जिला से अलग होकर अधिसूचित लखीसराय जिला धीरे-धीर
लखीसराय। तीन जुलाई 1994 को पुराने मुंगेर जिला से अलग होकर अधिसूचित लखीसराय जिला धीरे-धीरे 27 वर्षों का लंबा सफर तय कर लिया है। शनिवार तीन जुलाई को जिला स्थापना की 27वीं वर्षगांठ है। इतने वर्षों के सफर में जिले में विकास की गाड़ी तेजी से आगे बढ़ी है। हालांकि जिले में अभी स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़ी चुनौतियां बनी हुई है। राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी समृद्ध लखीसराय को अपनी कर्मभूमि मानने वाले कई दिग्गजों की सहभागिता केंद्र और राज्य सरकार में रही है। इस कारण भी यह जिला हमेशा सुर्खियों में रहा है।
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टाल और दियारा की बदली तस्वीर
जिले का टाल एवं दियारा क्षेत्र में काफी विकास हुआ। हर घर बिजली पहुंची। सड़कों का जाल फैला। पाली, मुड़वरिया, सदायबिगहा, सुरजीचक में किऊल और हरुहर नदी पर आरसीसी पुल का निर्माण विकास का रास्ता खोला है। सांसद राजीव रंजन सिंह की पहल से बड़हिया-मोकामा टाल क्षेत्र से जल निकासी की गंभीर समस्या के स्थाई समाधान के लिए 1,300 करोड़ की टाल योजना पर कार्य शुरू किया गया है। 188 करोड़ की लागत से बालगुदर में हरूहर नदी पर बन रहे स्लूइस गेट आने वाले दिनों में टाल के किसानों को जल जमाव से मुक्ति दिलाएगा। बिजली से कृषि कार्य के लिए जिले में 17 फीडर स्थापित किए गए। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से गांवों का विकास हुआ है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में 16 स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ वेलनेस सेंटर में परिणत किया गया है। लखीसराय की ड्रीम प्रोजेक्ट बाइपास रोड एवं कुंदर बराज जिले की दो सबसे बड़ी परियोजना से विकास को रफ्तार मिली है।
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संगठित अपराध में आई कमी, बाजार का बदला स्वरूप
अपराध और अपराधियों का सेफजोन तथा अपहरण उद्योग के रूप में विख्यात लखीसराय जिला पर लगा काला दाग हमेशा के लिए मिट गया। सुशासन और कानून राज का असर जिले में खूब हुआ। डान और सरदार के नाम से चर्चित अपराधी मारे गए या फिर अपना रास्ता बदलने को मजबूर हुए। इस कारण जिले में हाल के वर्षों में अपहरण, रंगदारी व संगठित अपराध में कमी आई है। वाहनों के कई शो-रूम खुले। छोटे से शहर में कई रेस्टोरेंट एवं कई शॉपिग मॉल खुले। लाली पहाड़ी की खोदाई एवं पहाड़ी को राजकीय स्मारक घोषित कर बौद्ध सर्किट से जोड़ने की सरकारी पहल से लखीसराय की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी। हालांकि विख्यात अशोकधाम मंदिर एवं शक्तिपीठ जगदंबा मंदिर बड़हिया को अब तक सरकारी दर्जा नहीं मिला है। यहां करोड़ों की लागत से म्यूजियम का निर्माण किया जा रहा है जो विश्वस्तरीय है।