कुरुद की चंडी माई मंदिर का धार्मिक के साथ है ऐतिहासिक महत्व
चंडी मंदिर कुरुद नगर में सदियों पुरानी कठोर मुरूम की परत से बने चबूतरे पर विराजमान देवी प्रतिमा की नियमित पूजा अर्चना आज भी जारी है। चंडी माई दर्शन पूजन के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। माता की ख्याति अन्य जिलों तक भी है।
कुरुद। चंडी मंदिर कुरुद नगर में सदियों पुरानी कठोर मुरूम की परत से बने चबूतरे पर विराजमान देवी प्रतिमा की नियमित पूजा अर्चना आज भी जारी है। कुरुद चंडी माई की गणना सिहावा धमतरी राजीव आरंग के पांच धार्मिक पुरातत्व स्थलों के रूप में की जाती है। कृष्णा अवतार के समय योग माया देवी रूप में कई स्थानों पर प्रकट हुई। उपासकों ने विभिन्न स्थानों पर आदिशक्ति के नाम दिए। उसमें चंडी मां कुरुद का मंदिर भी एक है। चंडी मंदिर का आध्यात्मिक महत्व कुरुद रियासत के जमीदार बांका बाई के कार्यकाल से बढ़ते चला आ रहा है। परंतु देवी प्रतिमा प्रस्तर चरण पद अपने मूल रूप में विद्यमान हैं।
आदि शक्ति योग माया स्वरूपा चंडी माई दर्शन जो एक बार कर लेता है माई का दर्शन बार-बार चाहता है। ऐसे भी भक्त हैं जो नियमित रूप से माता के दर्शन के लिए आते हैं।
मंदिर में माथा टेककर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। चंडी देवी के प्रति लोगों में इतनी श्रद्धा एवं विश्वास है कि शुभ कार्य की शुरुआत के लिए लोग यहां आते हैं नवविवाहित वर-वधू सबसे पहले यहां आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।
संतान प्राप्ति की आशा लिए, व्यापार एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता समृद्धि की कामना के लिए चंडी माई की प्रार्थना करते हैं। पुराने दाऊ परिवार की देखरेख में मंदिर में पुजारी नियुक्त कर मंदिर का प्रबंधन एवं विस्तार किया गया है।
चंडी माई के प्रथम उपासक बांका बाई का चबूतरा स्मारक समिति गांधी चौक में है, जिसकी पूजा विजयदशमी एवं अन्य पर्व पर आज भी परंपरागत रूप से की जा रही है। चंडी मंदिर की पूर्व दिशा में कुछ दूरी पर एक प्राचीन बावड़ी माता पुरैना तालाब है।
तीन तरफ से कठोर मुरूम चट्टानों से 12 फीट गहराई तक सीढ़ीदार बावली है। जिसे किसने, क्यों और कब बनवाया यह खोज का विषय है। खुदाई के समय पुरातत्व अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। यह सब पुरातत्व विभाग के खोज का विषय है, जिस पर कुरुद का इतिहास छुपा हुआ है। मूर्ति स्थापना के इतिहास को आज तक कोई नहीं बता सकता। चंडी मंदिर के प्रथम पुजारी आदिवासी बीरसिंह गोड़ नेताम गोत्र थे। आज भी चंडी मंदिर से जंवारा निकलते समय बीरसिंग बैगा के स्थान में जाए बिना जंवारा नहीं निकलता।
माता सबकी मनोकामना पूर्ण करती है
चंडी माई दर्शन पूजन के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। माता की ख्याति अन्य जिलों तक भी है। माता सबकी मनोकामना पूर्ण करती है।
-जितेंद्र नाथ योगी, पुजारी, चंडी मंदिर कुरुद।
माता के दर्शन से सुख शांति की अनुभूति होती है
चंडी माई सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करती है। वे स्वयं सालों से माता का दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। माता के दर्शन से सुख शांति की अनुभूति होती है।
-शेखर चंद्राकर, श्रद्धालु, कुरुद।