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पाली

प्रतिभाओं की नगरी है तखतगढ़, देश-विदेश में छोड़ी अमिट छाप

-देश ही नहीं, विदेश में भी साबित की काबिलियत, आज भी दबदबा

पालीDec 16, 2020 / 09:14 am

Suresh Hemnani

प्रतिभाओं की नगरी है तखतगढ़, देश-विदेश में छोड़ी अमिट छाप

प्रतिभाओं की नगरी है तखतगढ़, देश-विदेश में छोड़ी अमिट छाप

पाली/पावा। पाली जिले का तखतगढ़ प्रतिभाओं की नगरी है। यहां की प्रतिभाओं ने देश नहीं विदेश में भी अपना दबदबा बना रखा है। नगर की ऐसी प्रतिभाओं को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है। पूर्व में बालोत व सिंदल राजपूतों के बीच झगड़ा होता रहा। ऐसे में ये सूचना जोधपुर के तात्कालिक महाराजा को मिली। तब वहां से तखतसिंह को यहां अपनी फौज के साथ भेजा। गोगरा मार्ग से होली चौक स्थान पर फौज पहुंची। फौज की रक्षा के लिए चौंदरा माता व कचरा मुता गली में हनुमान मंदिर की स्थापना की। जोधपुर के तात्कालिन महाराजा तखतसिंह ने इस नगर को बसाया। इसलिए इसका नाम तखतगढ़ रखा गया। सुमेरपुर उपखंड क्षेत्र के अधीन तखतगढ़ कस्बा करीब 150 साल पुराना है। बताया जाता है कि तखतगढ़ के तालाब पाल के समीप मीठा पानी निकलता रहा। इससे पाली व जालोर जिले के लोगों की प्यास बुझाई जा रही थी।
ये हैं प्रतिभाएं
52 आविष्कार करने वाले पीएल मिस्त्री का नाम ने देश ही नहीं विदेश में अपनी छाप छोड़ी है। वर्तमान में किशोर जैन सहित अन्य जैन प्रतिभाओं ने भी विदेश में व्यवसाय में परचम फहराया है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक मीठालाल जोशी भी अपने देशभर में पंख फैलाए हैं। तखतगढ़ निवासी प्रतिभा पीएल मिस्त्री व मीठालाल जोशी को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा गया है। यहां के पूर्व प्रधान व पालिकाध्यक्ष रह चुके वंशीलाल बाल्दीया भी तखतगढ़ के सिरमोर रहे हैं।
गांवों के नाम गलियों का नामकरण
तखतगढ़ की बसावट गुलाबी नगरी की तर्ज पर हुई है। नगर की यात्रा शुरू करने के बाद विराम नहीं मिलेगा। गलियों का नामकरण भी बाहर से आने वाले गांवों के नाम से रखी गई है। जैसे जोणनी गांव से आने वाले परिवारों ने जोगणी गली। बलाना से आने वाले बलाना गली। ऐसी 19 गलियां हैं।
मातृ भूमि के लिए हर वक्त खड़े दानदाता
मातृभूमि के प्रति प्रगाढ़ प्रेम व दानावीरता के लिए आज भी धन्ना सेठों का नगर तखतगढ़ अपनी अमिट छाप छोड़ चुका है। यहां के दानवीरों ने आजादी से पूर्व तखतगढ़ में अस्पताल, स्कू लें, गांवाई पिचका, प्याऊ, पशु चिकित्सालय सहित अन्य भवनों को बनाए। अस्पताल के चंद्रभाण पूनमचंद ने 25-25 हजार रुपए भेंट किए है। बाद में बाबूलाल संघवी ने अस्पताल बनाकर सुपुर्द किया। आजादी के बाद अस्पताल में एक्स-रे व पैथोलॉजी के लिए भवन बनाकर दानदाता विनिता देवी परिवार ने सुपुर्द किया। संघवी केसरीमल ने स्कू ल का भवन व हॉल बनाकर सुपुर्द किया है। संघवी मंगीबाई बालिका विद्यालय भवन से बालिकाएं अपनी शिक्षापोर्जन कर रही हैं।
1974 में पालिका में क्रमोनत हुआ तखतगढ़
वैसे तखतगढ़ गांव सुमेरपुर में दूसरे बड़ा गांव है। 1974 में उसे ग्राम पंचायत से नगरपालिका में क्र मोनत किया गया। पालिका का अभी तक नया भवन बनना भी नगरवासियों के लिए आशा बनी हुई है। वर्तमान में उप तहसील व महाविद्यालय का अभाव है। औद्योगिक क्षेत्र की भी अभी तक उम्मीदें बनी हुई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 325 से जुड़ा
पूर्व में उदयपुर से बाड़मेर जाने वाले राज्यमार्ग को तीन साल पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग में क्रमोनत कर निर्माण करवाया गया है। अब यहां यातायात के लिए सीधे बाड़मेर या उदयपुर या गुजरात हो या दिल्ली। चंद घंटों में यात्रा पूर्ण की जा सकती है।

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